Saturday, May 14, 2011


मात्री देवो भवः पित्र  देवो भवः तो फिर हम मंदिर क्यों जाएँ 
WHY IN THE TEMPLE…………
My father is the sky
My mother is the earth
They take care of me
From my birth
An artist is my father
And she  a painter
Pillars are they
Of my life’s future
 My father is the candle
My mother the light
And their glow
Removes the darkness of my life
My father is the sun
My mother, the moon
They take care of me
To be one apart from others.
He is the flower
And its fragrance is she
Whose love and sympathy
 Give a sweet odour to my life
My father is the day
My mother the night
Guide do they me
In the ocean of my life.
My father is the master
My mother, the guide
They teach me all
And mould my life.
My father is god
My mother, the world
Then why in the temple
Should I worship the stone God....

33 comments:

  1. I am follower of maharshi dayanand saraswati.
    my second post is dedicated to shri rakesh kumar ji and shri madan sharma ji who inspire me very much.

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  2. मदन शर्मा जी नमस्ते कृपया मुझे माफ़ कीजिएगा की मै हिंदी में नहीं लिख पा रही हूँ

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  3. Poonam ji,
    Nothing is impossible, you know.If you keep on trying,you will surely succeed.
    I am impressed by your poetry and the pious thoughts.Kabeerdas ji said
    मो को कहाँ ढूँढता रे बंदे,मै तो तेरे पास में
    ना मै मंदिर ,ना मै मस्जिद,ना काबा कैलाश में
    One has to have faith in oneself.Because,allmighty is living in our heart only.
    Many thanks for visiting my blog.

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  4. बहुत अच्छा लिखा है आपने
    मुझे पहले से ही मालुम था की आप में ये क्षमता है
    इसी तरह आप हिंदी भी लिखने की कोशिश कीजिये...
    जरुर सफलता मिलेगी..
    आपने बिलकुल सही लिखा है. शास्त्रों में भी लिखा है माँ ही देवता है, पिता ही देवता है, आचार्य ही देवता है, सदअतिथि ही देवता है, पति के लिए पत्नी तथा पत्नी के लिए पति ही देवता है.
    पूजा का अर्थ होता है यथा योग्य सत्कार, जो की जीवित प्राणी की ही की जा सकती है, पत्थर के बेजान मूर्तियों की नहीं !
    आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !!

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  5. पूनम जी कृपया वर्ड वेरिफिकेसन हटा दें

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  6. भावनात्मक सुन्दर प्रस्तुति |

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  7. जिस महर्षि दयानंद ने गुजराती होते हुवे भी अपना सारा साहित्य हिंदी में ही लिखा उस दयानंद की प्रशंसक होकर भी आप इंग्लिश में लिखती हैं समझ में नहीं आता ऐसा आखिर क्यूँ ?

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  8. My father is the candle
    My mother the light
    And their glow
    Removes the darkness of my life...

    Very inspiring creation Poonam ji .

    Love and best wishes .

    .

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  9. बहुत अच्छा लिखा है आपने

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  10. Very inspiring creation Poonam ji .

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  11. माता पिता आदरणीय होते है.वो हमारे गुरु समान होते है.उनका हमे हमेशा सम्मान करना चाहिये.
    लेकिन इसका मतलब ये नही है कि जिसने माता पिता को बनाया. जिसने इंसानो को माता पिता बनाने की शक्ति दी .जिसने ये जगत बनाया और जिसने हमारा पालन करने के लिये इतनी सुंदर धरती बनायी. उन असली माता पिता परमात्मा को हम भूल जाये.
    हमे उस परमात्मा का हमेशा आभार प्रकट करना चाहिये.
    मंदिर मे मूर्ति केवल पत्थर का टुकड़ा नही है बल्कि वो एक माध्यम है जिसके द्धारा हमारा मन सीधे परमात्मा मे लगता है.
    भटकता नही है.

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  12. पूनम जी,
    आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार जो आप मेरे ब्लॉग पर आयीं और बहुत सुन्दर सी 'हिन्दी' में टिपण्णी की.
    अब आपसे ''हिन्दी' में ही पोस्ट लिखने की अपेक्षा है.
    आशा है आप प्रयास अवश्य करेंगी.
    बहुत बहुत आशीर्वाद.प्रभु आप पर हमेशा कृपा करें.

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  13. सच कहा है पूनम, माता पिता और अपना कर्म. इतना काफी है. सुंदर कविता. आगे भी लिखती रहो. भाषा कोई भी हो कुछ फर्क नहीं.

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  14. आपने बिलकुल सही लिखा है.पूजा का अर्थ होता है यथा योग्य सत्कार, जो की जीवित प्राणी की ही की जा सकती है, पत्थर के बेजान मूर्तियों की नहीं !
    आपकी अनुपम प्रस्तुति के लिए दिल से आभार.

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  15. your poem is full of ''love and affection ''to your parents .good .

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  16. This reminds me of lord Ganesha .My mother is a galaxy ,my father is a Mega star .
    beloved thoughts put in beautiful meaningful verse .

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  17. nice thoughts poonam ji welcome come n do more n more for our culture n literature best wishes
    shuklabhramar5

    सुन्दर भाव स्वागत है आप का साहित्य के इस वृहत क्षेत्र में आइये बढ़ते रहिये शुभ कामनाएं

    शुक्ल भ्रमर ५

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  18. My father is god
    My mother, the world
    Then why in the temple.....

    GREAT ONE....while rading your poem i remebereed lord Ganesha story....

    your questin...'should i worship stone'???

    i will say-No.....that is only a belief and does not have any significance if we can not give happiness, love and respect to our dear and respected ones....

    its better if we have good feelings, thoughts and respect for the human being instead of doing a worship to stone....

    still, worshiping a stone depends on philosophy of a person towrds life....somwhere it also gives "sukoon"....

    plz take my words in positive sense....

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  19. पूनम जी
    सस्नेहाभिवादन !

    बहुत अच्छी रचना है आपकी … बहुत बहुत बधाई !
    पृथ्वी जी का कहना भी सही है ।

    निवेदन है हिंदी में लिखने का प्रयास करें , बहुत सहज है आपके लिए ।

    हार्दिक शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  20. आपकी टिप्पणी में भजन की एक पंक्ति पढ़कर आपके ब्लॉग पर आया और यहाँ आंग्ल भाषा में आपके विचारों को बिखरा देखा तो लौटने का सोचा... जब कभी हिन्दी में लिखा मिलेगा तो कुछ कह पाने की हिम्मत करूँगा. आपकी उस पंक्ति को मैं भी दोहराता हूँ... "हम दयानंद के सैनिक दुनिया में धूम मचा देंगे."

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  21. Where are you Poonam?
    Must be busy in your studies?
    I like your pious writing and comments.
    Awaiting your return.

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  22. GOD in each believe. No need to go any where in search . I am agree with your views. thanks

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  23. पूनम जी, सोचने को प्रेरित करती है आपकी कविता। यही रचना की सार्थकता भी है। बधाई।

    ------
    क्‍यों डराती है पुलिस ?
    घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।

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  24. पूनम जी, शायद आपने ब्‍लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं। एक बार समय निकाल कर अवश्‍य देखें।

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  25. My father is god
    My mother, the world
    Then why in the temple
    Should I worship the stone God.

    GOD loves them who love and respect their parents.

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  26. बहुत अच्छा लिखा है आपने,पूनम जी,
    लिखना जारी रखें.
    शुभ कामनाएं

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  27. पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
    ***************************************************

    "आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"

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  28. शुभकामनाएँ आपको ऐसी यादगार बाते लिखने के लिये

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